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लाल सड़न रोग के कारण गन्ने की फसल सूखने लगी और किसानों की परेशानी बढ़ गयी

By vikram

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Sugarcane Crop
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लाल सड़न रोग के कारण गन्ने की फसल सूखने लगी और किसानों की परेशानी बढ़ गयी

लाल सड़न रोग का प्रकोप 80 प्रतिशत गन्ने की फसल बर्बाद

गन्ना किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं एक तरफ चीनी मिलों ने गन्ना किसानों का बकाया भुगतान नहीं किया और बाकी कमी गन्ने में लाल सड़न रोग ने पूरी कर दी इन दिनों गन्ने की खेती करने वाले किसान लाल सड़न रोग से परेशान हैं इस रोग के प्रकोप से उनकी गन्ने की फसल सूखने लगी है गन्ना किस्म कोशा 0238 में लाल सड़न की समस्या देखी जा रही है इस रोग के कारण किसानों की गन्ने की फसल सूख रही है जिससे खेत बर्बाद हो रहे हैं

जानिए क्या है रेड रॉट रोग और इसके लक्षण एवं नियंत्रण के उपाय

इस रोग का प्रभाव उत्तर प्रदेश के कई जिलों में देखा गया है, जिनमें सीतापुर, लखीमपुर खोरी पीलीभीत शाहजहाँपुर आदि शामिल हैं जहाँ इस रोग के प्रभाव से किसानों की 80 प्रतिशत फसलें सूख गई हैं। किसानों का कहना है कि पांच एकड़ में गन्ना बोया गया है उन्होंने गन्ने पर महंगे कीटनाशकों का छिड़काव किया है लेकिन लाल सड़न रोग की समस्या अभी भी बनी हुई है. इस रोग के कारण गन्ने का क्षेत्रफल साल दर साल घटता जा रहा है जिससे किसानों को घाटा हो रहा है यही वजह है कि यहां के किसानों का रुझान गन्ने की फसल से कम हो रहा है और अब वे परेशान होकर दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं इसका एक मुख्य कारण यह है कि गन्ना अन्य फसलों की तुलना में अधिक महंगा और रोगग्रस्त होता है

Sugarcane Crop
Sugarcane Crop

गन्ने का लाल सड़न रोग क्या है

गन्ना शोध परिषद शाहजहाँपुर उत्तर प्रदेश के पैथोलॉजी अनुभाग के प्रमुख डॉ. सुजीत प्रताप सिंह ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि गन्ने में लाल सड़न एक बीज जनित रोग है जिसे गन्ने का कैंसर भी कहा जाता है यह फंगस के कारण होता है यह रोग हरियाणा पंजाब उत्तर प्रदेश बिहार आंध्र प्रदेश और उड़ीसा में गन्ने को अधिक नुकसान पहुंचाता है इस रोग का प्रकोप उत्तरी बिहार तथा पूर्वी एवं मध्य उत्तर प्रदेश में महामारी के रूप में होता है

लाल सड़न रोग के लक्षण

इस रोग से ग्रसित होने पर गन्ने के तने के अंदर का हिस्सा लाल रंग के साथ सफेद धब्बे जैसा दिखता है। इससे पौधा धीरे-धीरे सूखने लगता है और अंततः पूरी तरह सूख जाता है। इस रोग से प्रभावित होने पर गन्ने की मिठास कम हो जाती है तथा उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी समय पर सुरक्षा न मिलने के कारण पूरी फसल बर्बाद हो जाती है।

लाल सड़न रोग के नियंत्रण के उपाय

इस रोग से गन्ने की फसल को बचाने के लिए किसान को रोगग्रस्त पौधे को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए उस जगह पर 10-20 ग्राम ब्लीचिंग पाउडर छिड़कें. उस स्थान पर जड़ों के पास की मिट्टी में 0.2 प्रतिशत थायोफिनेट मिथाइल कार्बेन्डाजिम मिलायें 0.1 प्रतिशत थायोफेनेट मिथाइल/कार्बेन्डाजिम/टिबुकोनाज़ोल प्रणालीगत कवकनाशी का छिड़काव करें

गन्ने की कटाई करते समय ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें

  • गन्ने की कटाई करते समय किसान को रोग रहित नर्सरी तैयार करनी चाहिए तथा उसी बीज का उपयोग बुआई के लिए करना चाहिए
  • किसानों को फसल चक्र अपनाना चाहिए। हर बार एक ही खेत में गन्ने की फसल उगाने से बचना चाहिए।
  • इसके लिए संक्रमित खेतों में गेहूं धान एवं हरी खाद का फसल चक्र अपनाकर रोग की रोकथाम की जा सकती है
  • संक्रमित गन्ने के डंठल न लें रोगरोधी प्रजातियाँ बोनी चाहिए।
  • कभी भी अकेला गन्ना न बोयें इसके साथ अन्य फसलें भी उगाई जा सकती हैं।
  • दूसरे राज्यों से कोई भी गन्ने की किस्म वैज्ञानिकों की अनुशंसा के बाद ही लायी जानी चाहिए।

 

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